बात जो थी गौतम-ओ-मूसा में
फ़ासले इस कदर हैं रिश्तों में, घर ख़रीदा हो जैसे क़िश्तों में...
View Articleदिल ही दुखाने के लिए आ
किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम , तू मुझसे ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ
View Articleमुनव्वर राना की ग़ज़ल
जो हुक्म देता है वो इल्तिजा भी करता है, ये आसमान कहीं पर झुका भी करता है ...
View Articleमुनव्वर राना की ग़ज़ल
कई घर हो गए बरबाद ख़ुद्दारी बचाने में, ज़मीनें बिक गईं सारी ज़मींदारी बचाने में ...
View Articleतुम्हारे जिस्म की खुशबू...
तुम्हारे जिस्म की खुशबू गुलों से आती है, ख़बर तुम्हारी भी अब दूसरों से आती है
View Articleमेरी ग़ज़ल
हार बुरा जब देखे सबका नींद इसकी उड़ जाए, तुम ही कहो फिर चैन से कैसे सोले मेरी ग़ज़ल
View Articleमुनव्वर राना की ग़ज़ल
तू कभी देख तो रोते हुए आकर मुझको , रोकना पड़ता है पलकों से समंदर मुझको ...
View Articleऐसे सवाल मत करना
बिगड़ते रिश्तों को फिर से बहाल मत करना, जो टूट जाएँ तो उनका ख़याल मत करना।
View Articleछोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा
बुझ गई आस, छुप गया तारा थरथराता रहा धुआँ तन्हा ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा ...
View Articleआपसे होगा यक़ीनन मेरा रिश्ता कोई
याद आने लगा एक दोस्त का बरताव मुझे, टूट कर गिर पड़ा जब शाख़ से पत्ता कोई ...
View Articleमिट्टी में मिलाना कि खिलौना हो जाऊँ
कम से कम बच्चों के होंठों की हँसी की ख़ातिर ऐसे मिट्टी में मिलाना कि खिलौना हो जाऊँ
View Articleजो मंजर तलाश करता है....
जो फन में फिक्र के मंजर तलाश करता है वो राहबर भी तो बेहतर तलाश करता है न जाने कौन सा पैकर तलाश करता है फकीर बनके वो घर-घर तलाश करता है ....
View Articleनई शायरी : बादल दरिया पर बरसा हो...
बादल दरिया पर बरसा हो, ये भी तो हो सकता है खेत हमारा सूख रहा हो, ये भी तो हो सकता है मंजिल से वो दूर है अब तक शायद रास्ता भूल गया घबराकर घर लौट रहा हो, ये भी तो हो सकता है...
View Articleनई शायरी : शर्म से मर जाऊंगा...
झूठ का लेकर सहारा जो उबर जाऊंगा मौत आने से नहीं शर्म से मर जाऊंगा सख्त1 जां हो गया तूफान से टकराने पर लोग समझते थे कि तिनकों सा बिखर जाऊंगा...
View Articleअच्छाई को बोया कर...
घर से बाहर निकला कर दुनिया को भी देखा कर फसलें काट बुराई की अच्छाई को बोया कर ने की डाल के दरिया में अपने आपसे धोखा कर ...
View Articleकिससे जाकर बोले मेरी गजल
जैसा मौका देखे वैसा हो ले मेरी गजल वो बातें जो मैं नहीं बोलूं बोले मेरी गजल चांद-सितारे अर्श1 पे जाके जब चाहें ले आएं ऐसे अदीबोशायर2 से क्यूं बोले मेरी गजल आज खुशी का मोती शायद इसको भी मिल जाए गम की...
View Articleलफ्जों की बरसात....
रात गए लफ्जों1 की बरसात हुई एक मुरस्सा2 नज्म हमारी जात हुई आंधी आई रस्ते में बरसात हुई अपनी मंजिल जैसे अपने साथ हुई छत के ऊपर सावन में भी धूप रही छत के नीचे आंखों से बरसात हुई
View Articleउसके करम की बात न पूछो...
उसके करम1 की बात न पूछो वो सबके होले है इक दरवाजा बंद, अगर हो सौ दरवाजे खोले हैं उसकी वाणी लहरों में है, झरनों में हैं उसके बोल उसके ध्यान में डूबके देखो, कानों में रस घोले है
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