ग़ज़ल : सादिक़
रूप बदलती माया के सौ चेहरे जाते आते काया लेकर मिट्टी की हम क्या खोते क्या पाते
View Articleहज़ल : देखते जाओ
पूँछ कुत्ते की जो टेढ़ी हो तो कुछ भी न बने और तेरी ज़ुल्फ़ में ख़म' हो तो ग़ज़ल होती है
View Articleअहमद निसार
हो तअल्लुक़ तुझसे जब तक ज़िन्दगी बाक़ी रहे दोस्ती बाक़ी नहीं तो दुश्मनी बाक़ी रहे
View Articleरेहबर जोनपुरी की ग़ज़लें
मुझको किस मोड़ पे लाया है मुक़द्दर मेरा रास्ता रोकते हैं मील के पत्थर मेरा
View Articleराहत इन्दौरी की ग़ज़लें
तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे
View Articleग़ज़ल : मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
पहचान क्या होगी मेरी थम कर नहीं सोचा कभी मेरे हज़ारों रूप हैं, क़तरा कभी, दरया कभी
View Articleअखतर नज़मी की ग़ज़लें
क्या बात है उसने मेरी तस्वीर के टुकड़े घर में ही छुपा रक्खे हैं बाहर नहीं फेंके
View Articleनसीर अंसारी की ग़ज़लें
इक बेहर-ए-बेकराँ था अभी कल की बात है मैं भी रवाँ-दवाँ था अभी कल की बात है
View Articleअब्दुल अहद साज़ की ग़ज़लें
खिले हैं फूल की सूरत तेरे विसाल के दिन, तेरे जमाल की रातें, तेरे ख़्याल के दिन
View Articleकौसर सिद्दीक़ी की ग़ज़लें
हर चोट हँस के सेहना सुनेहरा उसूल है मेरे लिए तो आपका पत्थर भी फूल है
View Articleकामिल बेहज़ादी-भोपाल
न तुमने ख़ैरियत पूछी, न यारों का पयाम आया जिसे दुश्मन समझते थे, वही मुश्किल में काम आया
View Articleमुनव्वर राना की ग़ज़लें (1)
दरबार में जाना मरा दुश्वार बहुत है जो शख़्स क़लन्दर हो गदा हो नहीं सकता
View Articleआप से बात करेंगे कभी तन्हाई में
बेख़्याली का बड़ा हाथ है रुसवाई में आप से बात करेंगे कभी तन्हाई में
View Articleबेकल उत्साही की ग़ज़ल
भीतर बसने वाला ख़ुद बाहर की सैर करे, मौला ख़ैर करे इक सूरत कीचाह मेंफिर काबे को दैर करे, मौला ख़ैर करे
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