ग़ज़ल
ख़ुश्क दरियाओं में हल्की सी रवानी और है रेत के नीचे अभी थोड़ा सा पानी और है इक कहानी ख़त्म करके वो बहुत है मुतमइन भूल बैठा है कि आगे इक कहानी और है बोरिए पर बैठिए, कु्ल्हड़ में पानी पीजिए
View Articleबादल दरिया पर बरसा हो
बादल दरिया पर बरसा हो ये भी तो हो सकता है खेत हमारा सूख रहा हो ये भी तो हो सकता है उसके लबों से हमदर्दी के झरने बहते रहते हैं दिल में नफ़रत का दरिया हो ये भी तो हो सकता है
View Articleकल तो इक सिकन्दर था
कल तो इक सिकन्दर था आज सब सिकन्दर हैं उसके हाथ बाहर थे, इनके हाथ अन्दर हैं वक़्त का सितम देखो, रिशतों का भरम देखो कल जो घर के अन्दर थे, आज घर के बाहर हैं कल थी इनसे ख़ुशहाली, आज इनसे बदहाली ये वही...
View Articleगजलें - रहीम रजा
वह जालीम है इनायत क्या करेंगे भलाई की हिमायत क्या करेंगे जो सूरज से हसद रखते हो दिल में चिरागों की हिफाजत क्या करेंगे अमीरे शहर से मनसब जो पाएँ वह मुफलिस की हिमायत क्या करेंगे
View Articleसाक़ी इन्दौरी
सदा ए साज़ भी दस्त ए हुनर की क़ैद में है हमारा सोज़ ए जिगर नोहागर की क़ैद में है वो नग़मगी ए मोहब्बत जिसे कहा जाए किसी की ख़ास अदा के असर की क़ैद में है महक गुलों के लिए आम था ज़माने में वो अब ख़ुलूस ए बशर भी...
View Articleगजल : जाकिर उस्मानी
घर की चिंता करते हैं दफ्तर में भी संसारी लोग। बात के कितने हलके हैं ये पत्थर से भी भारी लोग॥
View Articleगजलें : मोहम्मद अनीस अंसारी 'अनीस'
खिजा ने लूट ली, जब से बहार की सूरत रही न बाकी गुलों में करार की सूरत
View Articleहमीद अनवर
बदल लिए ज़िन्दगी ने तेवर तो क्या करोगे जो आई क़दमों की धूल सर पर तो क्या करोगे कभी-कभी ख़ुद में झाँक लेना दुरुस्त लेकिन खुले न दिल के दरीचा ओ दर तो क्या करोगे सवाल करते रहे हो लेकिन सवाल ये है जवाब हर...
View Articleसुतून ऐ दार
सुतून ऐ दार की उँचाई से न डर बाबा जो हौसला है तो इस राह से गुज़र बाबा ये देख जु़लमत ए शब का पहाड़ काट के हम हथेलियों पे सजा लाए हैं सहर बाबा मिली है तब कहीं इरफ़ान ए ज़ात की मंजिल खुद अपने आपमें सदियों...
View Articleइशरत वाहिद
वैसे तो रोशनी के लिए क्या नहीं किया लेकिन किसी चिराग़ पे क़ब्ज़ा नहीं किया किस दिन हमें मिला न पयामे शगुफ़्त्गी किस रोज़ ख़ुशबुओं ने इशारा नहीं किया शाख़े गुलाब अपने लिए मसअला नहीं ये और बात है के इशारा...
View Articleबे का जान ए दोस्ती
बे का जान ए दोस्ती बे का जाने प्यार एक हाथ में फूल है दूजे में तलवार का उपजत है कोख में अब ये देखा जाए बेटा है तो ख़ैर है बेटी जनम न पाए नीम करेला हो गए जिन लोगन के बोल दाता उनकी जीभ पे कुछ तो मीठा घोल
View Articleग़ज़लें : शायर मक़सूद नश्तरी
हमेशा दिल में जिगर में नज़र में रहता है वो पाक ज़ात है, पाकीज़ा घर में रहता है
View Articleग़ज़लें : शायर इसहाक़ असर इन्दौरी
न मेरे घर की, न परवाह मेरी करता है मेरा क़लम तो रिसालों के पेट भरता है
View Articleअशआर - सय्यद सुबहान अंजुम
करम फरमा तेरी यादों के लश्कर टूट जाते हैं निगाहों में जो रहते हैं वो मंजर टूट जाते हैं
View Articleशायर माहिर बुरहानपुरी
मेरे दाग़ों में निहाँ शम्सोक़मर देखेगा कौन ये नज़ारा दिल की आँखें खोल कर देखेगा कौन अपनी नज़रों से सुलगता अपना घर देखेगा कौन तू जिधर जाएगी बरबादी उधर देखेगा कौन किस नज़ारे से नज़र मजरूह होकर रह गई सुन तो सब...
View Articleग़ज़ल : प्रो. सादिक
जो रिश्ता पाँच अनासिर का था निभाते रहे उन्हीं के बल पे चली जब तलक चलाते रहे
View Articleग़ज़लें : डॉ. शफ़ी बुरहानपुरी
मोहब्बतों के हसीन साए को रोशनी पर सवार कर लो ज़मीन वालों से बात कर लो, बलन्दियों से क़रार कर लो
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